एक सुबह की किरण

 

एक सुबह की किरण

एक सुबह की किरण

कल-कल करती नदियां हैं ,
कोयल का राग सुनाना है !
आज आज की बात है ..,
कल का किसने जाना है!!

तितली का चहकना,
फूलों का मेहकना..,
हर मन हर्षित करता
फूलों का खिल जाना है !!

भोर का अजब दृश्य
मोहित मन हमारा है
जिम्मेदारियां भी है
काम पर भी जाना है!!

दिनकर की किरणों से
पृथ्वी कैसी चमक उठी
चारों तरफ है बिखरा
कैसा अजब नजारा है! !

✍कवि दीपक सरल

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