एक चेहरा मन को भाता है

 

एक चेहरा मन को भाता है

एक उजले उजले गीतों सा
एक चेहरा मन को भाता है !

यूं चलती फिरती राहों में ,
कोई शख्स घर कर जाता है !!

जब उनसे मिलन हो जाता है,
मन ‘मन ही मन’ मुस्कुराता है !

कुछ बातें मन को भाती हैं,
कुछ यादें मन को भाती हैं !!

पतझड़ के मौसम में जैसे,
मानो बसंत आ जाता है !

अंधकार सी निशा को जैसे
भोर – सुबह कर जाता है !!

एक रोते छोटे बच्चे को ,
मां का आंचल सुहाता है!

जब गम के बादल आते हैं
तो बारिश आ बन जाता है !!

एक उजले उजले गीतों सा,
एक चेहरा मन को भाता है !

यूं चलती – फिरती राहों में ,
कोई शख्स घर कर जाता है !!

✍कवि दीपक सरल

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