बुधवार, 15 मार्च 2023

सपनों की तुम बात करो

 

सपनों की तुम बात करो

काबू तुम जज्बात करो
सपनों की तुम बात करो,
जीवन रोशन करना है तो
मेहनत तुम दिन रात करो,
उम्मीदों के सूरज हो तुम
अंधकार को तुम दूर करो,
सर्व जगत में चमक सको
चांदनी की बरसात करो,
उजड़े हुए बगीचों में तुम
खिली खिली सौगात करो,
उड़ने पर उठ जाए सवाल
भंवरे वाली तुम बात करो,
ऐसे मेघा बन जाओ जो
पतझड़ में बरसात करो,
शौर्य गूंजे सर्व जगत में
श्रम में काली रात करो ,
काबू तुम जज्बात करो
सपनों की तुम बात करो।।

✍कवि दीपक सरल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

भारत की आवाज

किसी की आंखों पर यहां पर्दा नहीं है किसी की आंखों पर यहां पर्दा नहीं है किसी की आंखों में यहां नमी नहीं है लोग ही लोग हैं , हमारे चारों तरफ ...