इतना आसां कहां सरल उभर के आना
कई तपिश लगती है दूध को घी बनने में❤️❤️
✍कवि दीपक सरल
किसी की आंखों पर यहां पर्दा नहीं है किसी की आंखों पर यहां पर्दा नहीं है किसी की आंखों में यहां नमी नहीं है लोग ही लोग हैं , हमारे चारों तरफ ...
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