हिंदी कविता कवि दीपक सरल

 

मुकबल ख्वाब करने हैं……

मुकम्मल ख्वाब करने हैं,
मुकम्मल बात करनी है ।
अधूरी रही जो कहानी ,
वो पूरी आज करनी है ।।

अश्क जो बह रहे है अब,
उन पर बरसात करनी है।
अधूरी रही जो कहानी ,
वो पूरी आज करनी है ।।

आज बैठकर खुदा से ,
यह फरियाद करनी है।
अधूरी रही जो कहानी ,
वह पूरी आज करनी है।।

मंजिल-ए-ख्वाब थी कभी,
हकीकत आज करनी है।
अधूरी रही जो कहानी ,
वह पूरी आज करनी है।।

मेरी खामोशी सुनो जरा,
यहीं पर रात करनी है ।
अधूरी रही जो कहानी,
वह पूरी आज करनी है।।

तेरी खुशबू से मुझको ,
रूह आबाद करनी है।
अधूरी रही जो कहानी,
वह पूरी आज करनी है।।

खामोशी पर बजे तालियां
ये बुलंद आवाज करनी है
अधूरी रही जो कहानी
वह पूरी आज करनी है ।।

मुकम्मल ख्वाब करने हैं,
मुकम्मल बात करनी है ।
अधूरी रही जो कहानी ,
वो पूरी आज करनी है ।

#कवि दीपक बवेजा सरल

Comments

Popular posts from this blog

वक्त लगता है Kavi Deepak saral

सपना देखा है तो

करके तो कुछ दिखला ना